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ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है...

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  ( प्रवीण कक्कड़ ) सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है, ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है...  शायर राहत इंदौरी का यह शेर माँ की दुआओं को हूबहू बयां करता है। सच में माँ की दुआ अगर आपके साथ है तो दुनिया की कोई मुश्किल आपकी राह नहीं रोक सकती। माँ का आशीष सफर को आसान बना देता है और माँ की परवरिश जीवन का फलसफा सिखा देती है।  आज मेरी माँ की पुण्यतिथि है। स्व. माँ विद्यादेवी कक्कड़ को गए 7 साल हो गए, लेकिन कभी ऐसा लगता नहीं है कि वह मुझसे दूर हैं। माँ के चले जाने के बाद भी मुझे उनका आशीर्वाद भावनात्‍मक रूप से मेरे साथ चलता है। जीवन का सबसे सुखद अनुभव है माँ का साथ होना। माँ का स्पर्श अमृत समान होता है। जीवन के उतार-चढ़ाव और चुनौतियों में जब माँ पीठ पर हाथ रखकर हौंसला देती हैं तो बड़ी से बड़ी लड़ाई भी जीतने की ताकत आ जाती है। शायद इसीलिए संसार के सारे महापुरुषों की सबसे बड़ी प्रेरक उनकी माँ ही थी। छत्रपति शिवाजी महाराज, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे हमारे महापुरुषों के व्यक्तित्व को गढ़ने में सबसे ज्यादा भूमिका उनकी माताओं की ही रही है। मैं महापुरुष तो नहीं हूँ किंतु एक सामान्य मानव

ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है...

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( प्रवीण कक्कड़ ) सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है, ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है...  शायर राहत इंदौरी का यह शेर माँ की दुआओं को हूबहू बयां करता है। सच में माँ की दुआ अगर आपके साथ है तो दुनिया की कोई मुश्किल आपकी राह नहीं रोक सकती। माँ का आशीष सफर को आसान बना देता है और माँ की परवरिश जीवन का फलसफा सिखा देती है।  आज मेरी माँ की पुण्यतिथि है। स्व. माँ विद्यादेवी कक्कड़ को गए 7 साल हो गए, लेकिन कभी ऐसा लगता नहीं है कि वह मुझसे दूर हैं। माँ के चले जाने के बाद भी मुझे उनका आशीर्वाद भावनात्‍मक रूप से मेरे साथ चलता है। जीवन का सबसे सुखद अनुभव है माँ का साथ होना। माँ का स्पर्श अमृत समान होता है। जीवन के उतार-चढ़ाव और चुनौतियों में जब माँ पीठ पर हाथ रखकर हौंसला देती हैं तो बड़ी से बड़ी लड़ाई भी जीतने की ताकत आ जाती है। शायद इसीलिए संसार के सारे महापुरुषों की सबसे बड़ी प्रेरक उनकी माँ ही थी। छत्रपति शिवाजी महाराज, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे हमारे महापुरुषों के व्यक्तित्व को गढ़ने में सबसे ज्यादा भूमिका उनकी माताओं की ही रही है। मैं महापुरुष तो नहीं हूँ किंतु एक सामान्य मानव हो