अतीक के प्रकरण में अपराध शास्त्र को भी समझना होगा
(प्रवीण कक्कड़) अतीक अहमद का खात्मा हो गया। उसके साथ बहुत से दूसरे गुंडों को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया। इस पूरे प्रकरण पर जमकर राजनीति हुई। राजनीति दो पक्षों में विभक्त दिखाई दी। राजनीति होना लाजमी है। क्योंकि जो व्यक्ति 5 बार विधायक रहा हो और सांसद चुना गया उसकी हत्या को राजनीतिक नजरिए से देखना जरूरी हो जाता है। लेकिन हम यहां राजनीति की बात नहीं कर रहे। वह एनकाउंटर जायज हैं या नाजायज। कस्टोडियल हत्या अचानक हुई या सुनियोजित। इस मुद्दे पर बहस करना उन लोगों का काम है जिनके अपने राजनीतिक पूर्वाग्रह हैं। लेकिन अतीक के प्रकरण को उसके अतीत को ध्यान में रखते हुए, सामाजिक नजरिए से देखना बहुत जरूरी है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अतीक जैसे प्रकरण समाज की दिशा और दशा तय कर रहे हैं। अतीक अहमद की एक साधारण व्यक्ति से खूंखार गुंडा बनने की कहानी बहुत लंबी है। लुब्बेलुबाब यह है कि छोटे-मोटे अपराध करने वाला एक अपराधी राजनीतिक संरक्षण पाकर वर्चस्व के पायदान पर चढ़ता गया और विधायक फिर सांसद बन गया। सारे देश में अपराध का यही तरीका है। कोई भी अपराधी लगातार पनपता रहता है। और बाद में समाज में उसकी स्व