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तरक्की का मूल मंत्र है “आत्म- अनुशासन”

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 (प्रवीण कक्कड़) मनुष्य के जीवन में उसके व्यक्तित्व निर्माण में बहुत से गुण अपनी भूमिका निभाते हैं। इन सारे गुणों में अनुशासन सर्वोपरि है, क्योंकि अनुशासन के अभाव में सद्गुण के भी दुर्गुण बनते देर नहीं लगती लेकिन अनुशासन से भी बड़ी उपलब्धि है आत्मानुशासन। अनुशासन तो व्यवस्था या दूसरे व्यक्ति द्वारा बनाए जाते हैं, जो किसी भी व्यवस्था के संचालन के लिए सभी पर सामूहिक रूप से लागू होते हैं, जबकि आत्म- अनुशासन व्यक्ति खुद अपने ऊपर लागू करता है। दुनिया भर के कुछ सबसे सफल लोग आत्म-अनुशासन का अभ्यास करते हैं। वे दावा करते हैं कि जीवन में उन्हें तरक्की दिलाने में मुख्य भूमिका आत्म-अनुशासन की है। उन्होंने बड़ी शुरुआत नहीं की लेकिन आत्म- अनुशासन के साथ उन्होंने छोटे बदलाव किए और वे उच्च पदों पर पहुंच गए। नियमित जीवन में छोटे-छोटे बदलाव जैसे कि हर दिन एक ही समय पर सोना और जागना, स्वस्थ भोजन करना, व्यायाम करना और लक्ष्य निर्धारित करने से आत्म- अनुशासन प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। जीवन के इन छोटे-छोटे लक्षणों से भारी अंतर आ सकता है और यह व्यक्ति को आत्म- अनुशासन का जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित क

वसंत की बहार के बीच प्रेम का संदेश ‘‘वैलेंटाइन डे’’

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 (प्रवीण कक्कड़) भारत के पास वैसे तो अपने पर्व और त्योहारों की कमी नहीं है, लेकिन हमारा देश इतने खुले स्वभाव का है कि दूसरी संस्कृतियों से शुरू हुई परंपराओं को अपनाने से गुरेज नहीं करता। वैलेंटाइन डे भी भारत के त्योहारों में ऐसा ही एक मेहमान है। दो-तीन दशक से भारत की युवा पीढ़ी का यह प्रिय त्यौहार हो गया है और सामान्य तौर पर इसे स्त्री-पुरुष के प्रेम के पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार 14 फरवरी को आता है और सामान्य तौर पर इस समय भारत में वसंत ऋतु अपने यौवन पर होती है, इस बार तो वसंत पंचमी भी वैलेंटाइन डे के दिन ही आ रही है। लोग अब भूलने लगे हैं, लेकिन किसी जमाने में भारत में मदनोत्सव भी मनाया जाता था। मदनोत्सव में भी प्रेम की ऐसी ही  अभिव्यक्ति का रिवाज था। कौन जाने समय के चक्कर में मदनोत्सव ही वैलेंटाइन डे के रूप में फिर भारत में लौट आया हो लेकिन भारत में प्रेम को कभी सिर्फ एक ढांचे में नहीं बांधा गया। प्रेम के अलग-अलग रूप हैं और हर रूप में ही यह सुंदर है। जिन संत वैलेंटाइन के नाम पर वैलेंटाइन डे मनाया जाता है उन्होंने भी तो प्राणिमात्र में प्रेम की शिक्षा दी थी। इसीलिए अगर व

सफलता की पहली सीढ़ी है "समय का प्रबंधन"

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( प्रवीण कक्कड़ ) समय प्रबंधन एक बहुत ही आवश्यक कौशल है। जो हमारे कार्य और उनके उद्देश्यों को निश्चित योजना के तहत पूरा करता है। समय प्रबंधन से तात्पर्य समय को सही तरीके से उपयोग करने की योजना और प्रबंध की तकनीक है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने की पहली सीढ़ी समय का प्रबंधन ही है।   आजकल जो चुनौतियां हम सबके सामने हैं, उनमें से एक बड़ी चुनौती है वक्त की कमी। लोग अक्सर यह कहते सुने जाते हैं कि फलां काम करने का उन्हें वक्त ही नहीं मिला या फिर यह कि व्यस्तता इतनी ज्यादा है कि अमुक काम कर ही नहीं पाते। यह कहने के साथ लोग यह कहना भी नहीं भूलते कि काम करने का उनका मन तो बहुत था। हमें पता है कि दिन में 24 घंटे होते हैं, उन्हें बढ़ाया नहीं जा सकता। सोने, खाने, विश्राम और नित्य क्रिया के समय को भी कम नहीं किया जा सकता। जो लोग इसे कम करने का प्रयास करते हैं वे अनावश्यक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जकड़ में आ जाते हैं, तो फिर समय को कैसे साधा जाए। इसके लिए असल में जरूरत है कि समय को उपयोग में कैसे लाया जाए। अगर कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तित्व पर निगाह डालें तो रा