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प्रकृति की गोद में बसा जानापाव, नियाग्रा फॉल्स सी खूबसूरती झलकाता पातालपानी

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 बारिश में इंदौर के करीब नजर आते हैं प्राकृतिक सौंदर्य के नजारे  ( प्रवीण कक्कड़)  बारिश के मौसम में प्रकृति का सौंदर्य देखते ही बनता है। इस दौरान इंदौर के आसपास भी हमें विश्वस्तरीय पर्यटन का आनंद मिल सकता है। बारिश में इंदौर प्राकृतिक सौंदर्य के नजारे भी बिखेरता है। इंदौर से महज कुछ ही दूरी पर इन स्थानों पर पहुंचकर हम प्रकृति से संवाद कर सकते हैं। पातालपानी का जलप्रपात जहां नियाग्रा फॉल सा नजर आता है, इस सौंदर्य को देखने के लिए रेलवे ने यहां हेरिटेज ट्रेन भी शुरू की है। वहीं जानापाव की पहाड़ी हरियाली की चादर औढ़े हमें आकर्षित करती है। इसके साथ ही चोरल, रालामंडल अभ्यारण्य सहित कई ऐसे स्थान हैं जो आपके विकएंड को सुहाना सफर दे सकते हैं। वर्षा ऋतु सारी प्रकृति से सौंदर्य को ही बदल देती है। प्राणियों के लिए वर्षा अमृत के बरसने के समान तुलनीय है। हर कण अपनी एक अलग छवि के साथ मुस्कुरा देता है, प्रकृति की इस खूबसूरती को देखकर। प्रकृति में वर्षा ऋतु में चारों ओर झम झम बूंदे बरसती हैं। बिजलियों की खनक से मन के सारे बंद दरवाजे खुल जाते हैं। वर्षा की बूंदों में भीग कर सारी धरा पून खिल उठती है। नए

पौधरोपण करिये, ईश्वर खुश होंगे ज़िंदगी का रिटर्न गिफ्ट देंगे

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(प्रवीण कक्कड़) मानसून ने पूरे देश में दस्तक दे दी है। ईश्वर ने उसका काम कर दिया। अब हमारी बारी है। ईश्वर की नेमत को सहेजने और खूबूसरत बनाने की। यही सही वक्त है, बारिश के पानी को बचाने का, पौधरोपण का। आज हम पौधे रौपेंगे, यही पौधे ईश्वर तक हमारे अच्छे कर्मों का सन्देश पहुंचाएंगे। ये सन्देश वापस रिटर्न गिफ्ट की तरह वापस आएगा, अच्छी बारिश और आबोहवा के साथ। पौधरोपण से हमें हासिल होगी अच्छी हवा, पानी और ऑक्सीजन।  हर बार गर्मियों में बोरवेल सूख जाते हैं। नदियों बावड़ियों के किनारे सूखे दिखते हैं। ये सब पूरे बारह महीने हरे भरे रहेंगे। बस एक पौधा आप लगाइये। यदि हवा, पानी सही रहेगा तो ये धरती हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक खुशनुमा ज़िंदगी देगी।  हरियाली के बिना हमारा क्या हाल होगा इसका अंदाजा ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते हिस्से से देख, समझ ही रहे हैं।। हमारे जीवन के दो महत्वपूर्ण तत्व हैं जल और ऑक्सिजन। ऐसे में इस समय का सदुपयोग यही हो सकता है कि हम पर्यावरण संरक्षण को लेकर इन दोनों क्षेत्रों में सार्थक प्रयास करें।  आप सब जानते ही हैं कि जल है तो कल है। हमारी सभ्यता और संस्कृति नदियों के किनारे