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स्वतंत्रता की चेतना के साथ सशक्तीकरण की भावना भी जरूरी

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(प्रवीण कक्कड़) स्वतंत्रता के इतिहास से तो हम सभी परिचित हैं, हम जानतें हैं कि किन बलिदानों के फल स्वरूप हमें स्वाधिनता मिली। अब हमें वर्तमान पीढ़ी को यह सीखाने की जरूरत है कि स्वतंत्रता की चेतना के साथ सशक्तीकरण की भावना भी जरूरी है। तभी हम देश के विकास को सही दिशा में आगे बढ़ा सकेंगे। तभी देश में उत्साह का संचार संभव हो सकेगा। हमारी अर्थव्यवस्था सुदढ़ होगी और हम हर मोर्चे पर विकास के शिखर तक पहुंच पाएंगे। हमें वर्तमान पीढ़ी में सशक्तीकरण की भावना का विकास करने के लिए इसे चेतना के स्तर पर समझना और समझाना होगा। सशक्तीकरण के लिए जरूरी है कि अपनी परंपराओं, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा और अपने वांग्मय को लेकर गौरव का अनुभव करें। अपने समृद्ध इतिहास को तलाशने का प्रयास करें और विस्मृत की गई ऐतिहासिक विभूतियों को अपना आदर्श बनाने की कोशिश करें। अगर चेतना के स्तर पर जाकर देखें तो भारतवर्ष कभी परतंत्र रहा ही नहीं। आक्रांताओं ने भारतवर्ष पर आक्रमण करके इस पर कुछ वर्ष तक शासन अवश्य किया, किंतु भारत की सशक्तीकरण की भावना को नष्ट करने में सफल नहीं हो सके। यही कारण है कि भारत अपने स्वतंत्रता के मूल्यों