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दीप जलाकर मन को जगाओ

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- इस दीपावली अंदर से भी जगमगाओ  (प्रवीण कक्कड़) आओ इस दीपावली अंदर से भी जगमगाएं, दीप जलाकर मन को भी जगाएं। दीपावली का त्योहार सिर्फ रोशनी का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारे अंदर के अंधकार को दूर करने और आत्मज्ञान जगाने का भी पर्व है। हम सभी को अपने अंदर के दीपक को जलाना चाहिए। हम सभी के जीवन में उतार.चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। हमें हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए और आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। इस दिवाली अंधकार से निकलकर उजाले की ओर बढ़ें। सारे त्योहारों का हमारे जीवन में बहुत गहरा महत्व है। यह सारे त्यौहार हमारी सभ्यता और संस्कृति में इस तरह से रचे बसे हैं कि असल में इन्हीं के माध्यम से समरस समाज का निर्माण होता है। हमारे त्यौहार सांस्कृतिक एकता की सबसे बड़ी धरोहर होने के साथ ही अर्थव्यवस्था का पहिया भी हैं। दीपावली के पर्व पर भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या वापस आते हैं, जहां सारे नर नारी दीप जला कर उनका स्वागत करते हैं। इसीलिए यह दीपोत्सव है। दीपावली हमें सिखाती है कि अंधकार हमेशा के लिए नहीं रहता। थोड़ी सी मेहनत और लगन से हम अपने जीवन के किसी भी अंधकार क

प्रेम, समर्पण और त्याग का प्रतीक है करवाचौथ का व्रत

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  (प्रवीण कक्कड़) आज भागदौड़ भरे समय में रिश्तो के बीच संवाद घटता जा रहा है, हर व्यक्ति केवल स्वयं पर केंद्रित होकर आगे बढ़ रहा है लेकिन इन सबके बीच भी अगर विश्वास, त्याग और गहराई की बात की जाए तो पति-पत्नी का रिश्ता ही काफ़ी मजबूत नजर आता है। इसकी गहराई का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि हर रिश्ते का नाम लेने के लिए हमें दो शब्दों की जरूरत होती है, जैसे मां-बेटा, बाप-बेटी, भाई-बहन, चाचा-भतीजा लेकिन सिर्फ एक रिश्ता ऐसा है जो एक ही शब्द में बयां हो जाता है जीवनसाथी। इसी कारण इस रिश्ते को महत्वपूर्ण माना गया है। इसी रिश्ते के प्रति त्याग और समर्पण का प्रतीक है करवाचौथ। इस बार करवा चौथ व्रत 20 अक्टूबर को है। यह व्रत जहां पत्नी के पति के प्रति त्याग और समर्पण की भावना को बयां करता है, वही पति और पत्नी से भावनात्मक लगाव का भी परिचायक है। करवाचौथ… पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाके में सदियों से मनाया जाने वाला यह पर्व आज पूरे भारत का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार बन गया है। अगर भारत के बाहर का कोई व्यक्ति आकर इस त्यौहार को देख ले, तो वह निश्चित तौर पर इसे अत्यंत कठिन व्रत के तौर पर दे

दंड से न्याय तक - दिल की बात

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  साथियों नमस्कार आपको विदित होगा कि पिछले हफ्ते शिवना प्रकाशन ने मेरी पुस्तक *"दंड से न्याय तक"* का विमोचन किया है। आज उसी पुस्तक के कुछ पहलुओं को लेकर आपके समक्ष हूँ। मैंने अपने 40 साल के अनुभवों को एक किताब के रूप में सामने लाने की कोशिश की है। ये किताब भारतीय दंड संहिता से भारतीय न्याय संहिता तक के सफर पर केंद्रित है। एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता लागू हुई। इस किताब में भारतीय न्याय संहिता और भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी में क्या अंतर है इसको मैंने समेटने की कोशिश की है। मैंने सरल भाषा में स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि कैसे 358 धाराओं से भारतीय कानून में परिवर्तन आया है। इसमें पुलिस सुधार की अब तक की कोशिशे और कितनी बदली पुलिस इसका भी जिक्र है। इसमें उल्लेख है कि पुलिस सुधार को लेकर कौन से आयोग बने और उसके बाद क्या परिवर्तन आया। क्यों इंग्लैंड की स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस विश्व की सर्वश्रेष्ठ पुलिस कहलाती है। इसके साथ ही दुनिया की बेस्ट पुलिस फ़ोर्स कौन सी है और क्यों वो बेस्ट है इसके बारे में भी जानकारी है।  नया कानून किस तरह से बच्चों और महिलाओं की हिफाजत और मजबूती से