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नया साल : अपने सपनों को साकार करने का समय

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(प्रवीण कक्कड़)  हम दिसंबर के अंतिम दिनों में हैं, कुछ ही दिन बाद ही नया साल शुरू हो जाएगा। नया साल न सिर्फ एक नया कैलेंडर है, बल्कि नए अवसरों और नई शुरुआत का भी प्रतीक है। यह साल आपके जीवन में वो सब कुछ लाए जो आप चाहते हैं लेकिन इसके लिए आपको कुछ करना होगा। आज ही एक नया संकल्प लें। वो संकल्प जो आपको एक बेहतर इंसान बनाए। वो संकल्प जो आपके सपनों को साकार करे। याद रखें, सफलता किसी के दरवाजे पर नहीं आती, उसके लिए मेहनत करनी होती है। इस साल, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहें। हर दिन एक कदम आगे बढ़ाएं। मुश्किलें आएंगी, लेकिन हार मत मानिए। याद रखिए, आप हर मुश्किल का सामना करने के लिए सक्षम हैं। नए वर्ष में कैलेंडर ही नहीं बदलता बल्कि बहुत कुछ ऐसा होता है जो बदल जाता है। नया वर्ष हम सभी की उम्र में एक वर्ष जोड़ देता है। हमारे अनुभव की पूंजी में 12 माह की वृद्धि कर देता है।  हमारे जीवन की गति को कुछ और तेज कर देता है। पूर्णाहुति की तरफ बढ़ रहे हमारे कदमों को अपनी मंजिल के कुछ और निकट ला देता है। इसलिए नया वर्ष जब आता है तो नए वर्ष का उगता सूरज हमें नए संकल्पों और नई ...

दया, प्रेम और शांति की प्रेरणा है क्रिसमस

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- "प्रभु यीशु ने जो कहा उसका संकलन बाइबिल में है लेकिन उन्होंने जो जीवन जिया उसका संकलन मानवता की स्मृतियों में है"   (प्रवीण कक्कड़) 25 दिसंबर को पूरे विश्व में क्रिसमस का त्यौहार मनाया जा रहा है। ईसा मसीह का जीवन दया, प्रेम और शांति का संदेश देता है। प्रभु यीशु ने जो कहा उसका संकलन बाइबिल में है लेकिन उन्होंने जो जीवन जिया उसका संकलन मानवता की स्मृतियों में है। इसलिए यह त्यौहार धर्म की सीमाओं को पार कर मानवता को एक सूत्र में बांधता है। भारत की संस्कृति अद्वैतवाद की संस्कृति है। ऐसे में भारत में क्रिसमस पर्व सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है। रोमन साम्राज्य की रक्त पिपासा के बीच जीसस शांतिदूत बनकर पृथ्वी पर आए। दिशाहीन मानवता को उन्होंने एक दिशा प्रदान की। भटके हुए लोगों को सही राह दिखाई और इंसानियत के लिए ही अपना बलिदान दिया।  क्रिसमस भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रकटन है। धर्म, जाति और संप्रदाय से परे सभी लोग मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं। यदि हम भारतीय वांग्मय में देखें तो अद्वैत की परिकल्पना सर्वश्रेष्ठ है। जब ईश्वर की प्रार्थना एकाकार होकर की जाए तो वह अद्वैत ही होता है।...