संदेश

अप्रैल, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जल संरक्षण: छोटे-छोटे प्रयास से होगी बड़ी बचत

चित्र
जल संरक्षण की पहल हमारे हाथ में  (प्रवीण कक्कड़) कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। यह बात सच हो या न हो, लेकिन इतना तो सच है कि पानी हमारे जीवन की सबसे बहुमूल्य जरूरत है। आज दिल दुखता है जब हम बड़े-बड़े जल संरक्षण के प्रोजेक्ट्स की बात करते हैं, लेकिन अपने दैनिक जीवन में छोटी-छोटी लापरवाहियों से हज़ारों लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं।   यह सच है कि पानी अनमोल है, और इसकी कमी भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौती है। क्या आपने कभी सोचा है कि आपके घर और आपके परिवार के छोटे-छोटे प्रयास भी मिलकर कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं? आज हम बात करेंगे उन नन्हे कदमों की, जिन्हें उठाकर आप अपने घर को जल संरक्षण का गढ़ बना सकते हैं। सोचिए, अगर हर गृहिणी, हर छात्र, हर कामकाजी व्यक्ति अपनी दैनिक आदतों में थोड़ा सा बदलाव लाए, तो हम सामूहिक रूप से कितना पानी बचा सकते हैं! यह पहल अब हमारे हाथ में है। अब इंतजार करने का समय नहीं, बल्कि कुछ करने का समय है। आइए देखें, कैसे आपके घर के छोटे-छोटे कार्य एक बड़ी जल क्रांति ला सकते हैं: 1. नल की चाबी आपके हाथ में:  * ब्रश करते वक्त, शेविंग करते वक...

उड़ान भरो - आसमान तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है

चित्र
करियर: वह राह चुनो जो तुम्हें खुशी दे (प्रवीण कक्कड़) बोर्ड परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी हैं, और अब जीवन का एक नया अध्याय शुरू होने वाला है। कुछ छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं, तो कुछ अभी भी अपने करियर को लेकर अनिश्चितता में हैं। कुछ के लिए सपना इंजीनियर बनने का है, कुछ डॉक्टर बनना चाहते हैं, तो कुछ अपनी कला या शौक को ही अपना करियर बनाना चाहते हैं।  यह समय उथल-पुथल भरा हो सकता है, लेकिन याद रखो, हर महान सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है। अगर तुम्हारे मन में भी यह सवाल है कि "आखिर मैं क्या बनूँ? क्या चुनूँ?" तो यह लेख तुम्हारे लिए ही है।   1. अपने जुनून को पहचानो – सफलता वहीं मिलेगी   सफलता का राज़ यह नहीं कि तुम किसी और की तरह बनो, बल्कि यह है कि तुम खुद को पूरी ईमानदारी से पहचानो।  - क्या तुम्हें गणित के फॉर्मूले हल करने में मज़ा आता है?   - क्या तुम मरीज़ों की सेवा करके संतुष्टि महसूस करते हो?   - या फिर तुम्हारा दिल पेंटिंग, म्यूज़िक या लेखन में धड़कता है?   - जवाब ढूँढो, और फिर उसी राह पर चल पड़ो। क्योंकि जो काम तुम्हें खुशी देत...

डॉ. भीमराव अंबेडकर: अधिकारों और सामाजिक न्याय के अमर प्रतीक

चित्र
  (प्रवीण कक्कड़) "संविधान केवल दस्तावेज़ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक है।" - यह गहन कथन भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों की गहराई और उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाता है। 14 अप्रैल, एक ऐसी जयंती है जो हमें उस महान विभूति का स्मरण कराती है, जिन्होंने न केवल स्वतंत्र भारत के संविधान की आधारशिला रखी, बल्कि सामाजिक समानता, न्याय और वंचितों के उत्थान के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। उनका जीवन, अनगिनत चुनौतियों, अटूट साहस और असाधारण सफलता की एक ऐसी प्रेरक गाथा है, जो आज भी करोड़ों लोगों को अन्याय के खिलाफ लड़ने और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की शक्ति प्रदान करती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर एक ऐसे अद्वितीय व्यक्ति थे, जिन्होंने उस पवित्र और सर्वव्यापी ग्रंथ की रचना की, जो हर भारतीय नागरिक को उसके मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों का बोध कराता है – हमारा जीवंत संविधान। यह वह अनुपम दस्तावेज है, जिसकी छत्रछाया में हम सभी, अपनी भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद, 'अनेकता में एकता' के अटूट सूत्र में बंधे हुए हैं, और विश्व को इस महान सत्य का शाश्वत संदेश देते...