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पूरे जीवन की दिशा तय करती है आपकी सुबह

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ध्यान, व्यायाम और सकारात्मक विचारों से खुद को करें तैयार (प्रवीण कक्कड़) क्या आप जानते हैं कि आपकी सुबह की शुरुआत ही आपके पूरे दिन और अंततः आपके पूरे जीवन की दिशा तय करती है। हम में से ज़्यादातर लोग अपनी पूरी क्षमता से नहीं जी पाते, क्योंकि वे अपनी सुबह को यूँ ही गँवा देते हैं या बिना किसी उद्देश्य के इसकी शुरुआत करते हैं। यकीन मानिए, एक उद्देश्यपूर्ण सुबह की दिनचर्या अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को अविश्वसनीय रूप से बदल सकता है, फिर चाहे वे पहले से जल्दी उठने वाले व्यक्ति न भी हों। अपनी सुबह को ऊर्जा और उद्देश्य दें। ध्यान, व्यायाम और सकारात्मक विचारों से खुद को तैयार करें। किताबें पढ़ें, अपने लक्ष्य लिखें, और खुद को उस बेहतर संस्करण के रूप में देखें जो आप बनना चाहते हैं। ये आदतें आपको सामान्य से उठाकर असाधारण जीवन की ओर ले जाएंगी। क्यों आपकी सुबह खास है? आपकी सुबह की शुरुआत ही आपके पूरे दिन और आपके पूरे जीवन की दिशा तय करती है। यह केवल एक आदत नहीं, बल्कि आपके जीवन को बदलने का एक शक्तिशाली तरीका है। जब आप अपनी सुबह को जानबूझकर और सकारात्मक रूप से शुरू करते हैं, तो आप अपने दिन को नि...

“छोटी आदतों” की प्रभावी शक्ति लाएगी “बड़ा बदलाव”

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जीत का मंत्र: आसान शुरूआत, लगातार प्रयास (प्रवीण कक्कड़) क्या आप भी अपने जीवन में बड़ा बदलाव चाहते हैं? तो यह लेख आपके लिये है। हमारे जीवन में बड़ा बदलाव अचानक नहीं आता, बल्कि यह हमारे छोटे-छोटे प्रयासों का नतीजा होता है। जी हाँ, एक दिन में किए गए बड़े बदलाव से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है हर दिन किया गया छोटा प्रयास। किसी पहाड़ की चोटी पर पहुंचना है तो एक-एक कदम बढ़ाना होगा। अपनी उन छोटी आदतों पर काम करें, जो आपको आपके बड़े लक्ष्य तक ले जाएंगी।  किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है शुरूआत। अपनी शुरूआत को इतना आसान बनाएं कि ना कहने का म नही न करें। जैसे रोज किताब का एक पेज पढ़ना या महज 200 मीटर वॉकिंग। कई बार आपके घर का माहौल भी मैजिक की तरह काम करता है, जैसे किताबों को हमेशा सामने रखना और किचन से जंक फुड बाहर करके केवल हेल्दी खाना रखना। इसके साथ ही आपको निरंतरता के सिद्धांत पर अटल रहना होगा। जो भी काम शुरू करें उस पर लगे रहें। सिस्टम बनाएं, सिर्फ लक्ष्य नहीं सफलता का रास्ता बड़े-बड़े लक्ष्यों को तय करने से नहीं, बल्कि सही सिस्टम बनाने से होकर गुज़रता है। उदाहरण के लिए फि...

सीखने से भी ज़्यादा ज़रूरी है “भूलना”

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- खुशहाल जीवन का मूल मंत्र - "जो बीत गई, सो बात गई" (प्रवीण कक्कड़) हम हर समय कुछ नया सीखना चाहते हैं लेकिन "क्या आप जानते हैं, सीखने से भी ज़्यादा ज़रूरी है.भूलना! हाँ, आपने सही सुना। हमारा दिमाग सुपर कम्प्यूटर की तरह है, इसमें गैरजरूरी पुराना डाटा रखेंगे तो यह हैंग होने लगेगा। सरल शब्दों में कहूं तो अपने जीवन को खाली स्लेट समझिये। अगर आप उस पर से पुरानी लिखावट नहीं मिटाएंगे, तो नया कैसे लिख पाएंगे? "भूलना" सिर्फ़ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आज़ादी है, अपने मन को हल्का करने की, नई उम्मीदों के लिए जगह बनाने की। हम हर दिन नई चीजें सीखने का प्रयास करते हैं, नई आदतें अपनाना चाहते हैं, लेकिन अक्सर हम पुरानी सोच के पैटर्न, नकारात्मक भावनाओं और व्यर्थ के डर को छोड़ने में हिचकिचाते हैं। हमें यह जानना होगा कि किन बातों को अपने मस्तिष्क से निकाल देना है, किन अनुभवों से सबक लेकर उन्हें पीछे छोड़ देना है, और किन नकारात्मक भावनाओं को खुद पर हावी नहीं होने देना है। जब हम अपने मन को पुरानी और अनावश्यक बातों से मुक्त करते हैं, तो हमारे पास नई चीजों को सीखने, नए विचारों को अपना...

मेरी जमाने में जो शोहरत है वह मेरी मां की बदौलत है

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  माँ, वह हस्ती जिसके आगे दुनिया की हर दौलत फीकी है मदर्स डे पर विशेष (प्रवीण कक्कड़) माँ, वह हस्ती जिसके आगे दुनिया की हर दौलत फीकी है, जिसके चरणों में जन्नत है। पश्चिम ने भले ही 'मदर्स डे' की नींव रखी हो, लेकिन हमारी संस्कृति तो युगों से हर दिन को माँ का ही मानती आई है। जिसने नौ महीने अपनी साँसों से मेरी साँसों को बुना, जिसने अपने सपनों को मेरे सपनों के लिए कुर्बान कर दिया, उस माँ के लिए साल का केवल एक दिन समर्पित करना? यह तो उस अथाह सागर को एक बूंद में समेटने जैसा है। नहीं, माँ के लिए तो हर पल, हर धड़कन, हर साँस उसी की अनमोल देन है। फिर भी, आज का यह दिन एक सुंदर अवसर है, उन ममतामयी आँखों को याद करने का और उस असीम ममता के आगे अपना शीश झुकाने का, जिसके आगे संसार की हर वैभव फीका पड़ जाता है। आइए, इस मदर्स डे पर हम उस दिव्य शक्ति को याद करें जो हमारे जीवन का आधार है।  मां के आशीष को शब्दों में पिरोना नामुमकिन है लेकिन बस इतना कह सकता हूं कि मेरी जमाने में जो शोहरत है वह मेरी मां की बदौलत है। आज मदर्स डे है, मैं उस हर मां के संघर्ष को याद कर रहा हूं जिसने ना जाने कितने दुख उठाकर...