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जून, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रकृति की गोद में सेहत से संवाद

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- एक सप्ताह प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में मेरी यात्रा (प्रवीण कक्कड़) पिछले सात दिन मैंने पुणे के पास स्थित प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में बिताए। यह अनुभव सिर्फ एक अवकाश नहीं था, बल्कि मेरे शरीर, मन और आत्मा के लिए एक गहन जागृति थी। पहाड़ी से घिरे इस शांत और हरे-भरे परिवेश ने मुझे तुरंत अपने भीतर की शांति से जोड़ दिया। मुलशी झील के किनारे, प्राकृतिक सौंदर्य के बीच आत्मांतन केंद्र की ताजी हवा और उच्च-ऊर्जा वाला वातावरण तनाव को तुरंत दूर कर देता है। एक सप्ताह बाद, मैं खुद के एक नए, अधिक ऊर्जावान और शांत स्वरूप को महसूस कर पा रहा हूँ। यह अनुभव किसी लक्जरी वेकेशन से बढ़कर, स्वास्थ्य के प्रति एक गहरी प्रतिबद्धता और आत्म-खोज का सफर था, जिसमें मैंने अपनी सेहत से संवाद किया।  प्राकृतिक चिकित्सा: शरीर, मन और आत्मा का सामंजस्य आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपने शरीर की जरूरतों को अनदेखा कर देते हैं। तनाव, थकान, पाचन संबंधी समस्याएं और अनिद्रा जैसी शिकायतें आम हो गई हैं। ऐसे में, प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) एक वरदान साबित होती है। यह कोई शौक या विलासिता नहीं, बल्कि "अंतर्मुखी जागर...

योग से चेतना, संगीत से समरसता

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      अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और विश्व संगीत दिवस पर विशेष (प्रवीण कक्कड़) 21 जून, सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार और वैश्विक सामंजस्य का एक पर्व है। यह दिन दो शक्तिशाली माध्यमों को समर्पित है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और विश्व संगीत दिवस। योग, जो हमें अपनी आंतरिक शक्ति से जोड़ता है, और संगीत, जो हमें पूरे ब्रह्मांड से। आधुनिक मनोविज्ञान और न्यूरोबायोलॉजी अब प्रमाणित करते हैं कि संगीत और योग दोनों मिलकर अवसाद, चिंता, उच्च रक्तचाप और नकारात्मक विचारों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं। इनका संयोजन हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक शक्तिशाली युगल है। योग: सिर्फ़ व्यायाम नहीं, एक जीवनशैली क्रांति योग कोई क्षणिक फ़ैशन नहीं है; यह भारत की हज़ारों वर्षों पुरानी आध्यात्मिक विरासत है। यह केवल शरीर को स्वस्थ रखने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि मन को शांत, आत्मा को मुक्त और जीवन को व्यवस्थित करने की एक संपूर्ण प्रणाली है। 21 जून को जब पूरी दुनिया सूर्य की ऊर्जा से सराबोर होती है, उसी समय हम योग के माध्यम से अपने भीतर के सूर्य को जागृत करने का संकल्प लेते हैं। मैं स्व...

पृथ्वी पर प्लास्टिक का शिकंजा: तोड़ने की बारी हमारी

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- प्लास्टिक प्रदूषण को हराने की जंग में क्या हम तैयार हैं? - "प्लास्टिक को न कहें, प्रकृति को हाँ कहें!" - विश्व पर्यावरण दिवस 2025 पर विशेष  ( प्रवीण कक्कड़ ) पौधे लगाने, पानी बचाने और अन्य पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिये हम काफी बातें करते हैं लेकिन क्या वाकई में हम अपने इस पृथ्वी को बचाना चाहते हैं। अगर आपका जवाब हां है तो हमें चिंतित होने की जरूरत है क्योंकि पर्यावरण संरक्षण को लेकर हमारे प्रयास नाकाफी हैं। पर्यावरण के लिए आज सबसे बड़ा खतरा बन चुका है प्लास्टिक प्रदूषण। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। इस साल के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम 'प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना' है, जो इस गंभीर मुद्दे की अहमियत को दर्शाती है। प्लास्टिक बेशक हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन अब यही प्लास्टिक हमारे अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन गया है। अगर हमने समय रहते प्लास्टिक के ख़िलाफ़ कोई ठोस कदम नहीं उठाए, तो शायद बहुत देर हो जाएगी। प्लास्टिक प्रदूषण: एक साइलेंट किलर 1. प्लास्टिक क्यों है खतरनाक? - अपघटन में सैकड़ों साल: एक प्लास्टिक बैग को गलने में 450 से 1000...