संदेश

“लक्ष्य तक वही पहुँचता है, जो सही समय पर लेता है ‘निर्णय’”

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जब अवसर दरवाज़ा खटखटाएँ, तो देर नहीं, निर्णय चाहिए (प्रवीण कक्कड़) जीवन अवसरों और चुनौतियों का अनवरत सिलसिला है, और इनके बीच सबसे निर्णायक सेतु है—निर्णय। हम अक्सर किसी चौराहे पर खड़े होते हैं: ‘हाँ’ कहें या ‘ना’, सुरक्षित मार्ग चुनें या जोखिम लें, कदम आगे बढ़ाएँ या यथास्थिति बनाए रखें। यह क्षणिक ठहराव—यदि लंबा खिंच जाए—धीरे-धीरे जीवन की गति और ऊर्जा को सोख लेता है। अनिर्णय व्यक्ति को निष्क्रियता की ओर धकेलता है और निष्क्रियता अंततः ठहराव का कारण बनती है। एक पूर्व पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ निभा चुका व्यक्ति होने के नाते मेरा अनुभव यही कहता है: निर्णय लेना ही नहीं, सही समय पर सही निर्णय लेना सफलता का सबसे बड़ा तत्व है। इतिहास साक्षी है कि समयबद्ध और साहसिक निर्णयों ने व्यक्तियों, संस्थाओं और राष्ट्रों की दिशा बदल दी। निर्णय: अस्तित्व का आधार और प्रेरणा की धुरी निर्णय केवल विकल्प चुनना नहीं, भविष्य की रूपरेखा तय करना है। जिस क्षण हम साहसिक निर्णय लेते हैं, उसी क्षण हम अपने आने वाले अवसरों की दिशा भी चुन लेते हैं। – स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में बोलने का निर्णय लिया—भारतीय...

दीपावली: जीवन दर्शन का महापर्व

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अंधकार मिटाकर आंतरिक ज्योति जगाने की प्रेरणा “दीया घर में जलाओ, पर रोशनी दिल में बसाओ।” प्रवीण कक्कड़ दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों की उजली पहचान है। यह वह समय है जब हम न सिर्फ़ अपने घरों को रोशन करते हैं, बल्कि भीतर के अंधकार को मिटाकर रिश्तों और समाज में उजास फैलाते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रकाश सिर्फ दीयों में नहीं, इंसान के मन में भी जलना चाहिए। आज दीपावली केवल भारत तक सीमित नहीं। यह विश्वभर में मनाया जाने वाला उत्सव बन चुका है। लाखों लोग इस दिन दीप जलाते हैं, जिससे यह संदेश जाता है कि प्रकाश की कोई सीमा नहीं होती। यह पर्व संस्कृति के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था और मानवीय संबंधों को जोड़ने वाला एक सेतु बन चुका है। धनतेरस: स्वास्थ्य और समृद्धि का पहला दीप दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन हम धन्वंतरि देव का पूजन करते हैं, यह संदेश देते हुए कि सच्चा धन स्वास्थ्य है। साथ ही, धन के देवता कुबेर की पूजा भी की जाती है, जो धन की रक्षा और वृद्धि के लिए पूजे जाते हैं, ताकि जीवन में भौतिक सम...

करवा चौथ: रिश्ते की गहराई का जीवंत महाकाव्य

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जहां प्रेम में त्याग और आस्था हो, वहां रिश्ते कभी कमज़ोर नहीं पड़ते (प्रवीण कक्कड़) जीवन की तेज़ बहती धारा में जहां करियर की प्रतिस्पर्धा, तकनीकी व्यस्तता और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं मानवीय संवेदनाओं पर हावी हो रही हैं। कुछ रिश्ते ऐसे भी हैं जो समय की हर कसौटी पर खरे उतरते हैं। इन रिश्तों में सबसे पवित्र और अनमोल है पति-पत्नी का संबंध एक ऐसा बंधन जिसे “जीवनसाथी” शब्द अपने आप में पूर्ण कर देता है। इसी रिश्ते की गहराई, अटूट विश्वास और निस्वार्थ समर्पण को समर्पित एक पर्व है - करवा चौथ। यह केवल एक व्रत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का वह दर्पण है जिसमें दांपत्य जीवन की सबसे सुंदर छवि दिखाई देती है। आस्था और प्रेम की सदियों पुरानी परंपरा पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जन्मा यह पर्व आज अपनी भावनात्मक शक्ति के कारण पूरे भारत में लोकप्रिय हो चुका है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह उत्सव इस वर्ष 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत का...

कब होगा "लापरवाही" का विसर्जन

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उत्सव की लहरें बन रहीं मातम का सैलाब त्योहारों पर हादसों के लिए कौन है जिम्मेदार (प्रवीण कक्कड़) भारत पर्वों और उत्सवों का देश है। यहाँ हर त्योहार जीवन के उल्लास, उमंग और आस्था का प्रतीक है। लेकिन यदि ये उत्सव की लहरें मातम का सैलाब बन जाएँ तो समाज को ठहर कर सोचने की ज़रूरत है। मध्य प्रदेश की कुछ हालिया घटनाएँ सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी हैं। हमारे लिए सबसे जरूरी बिंदु अब यह है कि सब मिलकर यह विचार करें कि इस "लापरवाही" का विसर्जन कब होगा। खंडवा के पंधाना क्षेत्र में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए तालाब में उतरती एक ट्रैक्टर-ट्रॉली हादसे का कारण बनी। इस घटना में 11 जिंदगियाँ डूब गईं, जिनमें अधिकांश मासूम बच्चियाँ थीं, जिनकी खुशियाँ हमेशा के लिए खामोश हो गईं। उज्जैन के इंगोरिया क्षेत्र में विसर्जन के दौरान एक ट्रॉली चंबल नदी में समा गई। इस हादसे में तीन बच्चों की मृत्यु हुई। कटनी में दशहरे के दिन एक तालाब में दो सगे भाइयों (8 और 10 वर्ष) की मौत हो गई। नहाने की खुशी उनके लिए अंतिम सफर बन गई। इसी तरह बैतूल के मुलताई में भी विसर्जन के दौरान एक हादसा हुआ, जिसमें एक बच...

जेनरेशन Z: एक ज्वालामुखी, जिसे दिशा चाहिए

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रील्स पर दिखती कामयाबी और करियर की अनिश्चितता के बीच का सच  (प्रवीण कक्कड़) आज दुनिया की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया की बहसों तक, अगर कोई पीढ़ी चर्चा के केंद्र में है, तो वह है जेनरेशन Z, यह 1997 से 2012 के बीच जन्मे उन युवाओं का समूह है, जिन्होंने इंटरनेट के साथ आँखें खोलीं। यह एक ऐसी पीढ़ी है जो ऊर्जा का ज्वालामुखी है, असीम, रचनात्मक और विस्फोटक। लेकिन अगर इसकी ऊर्जा को सही दिशा न दी जाए, तो यह विध्वंसक भी हो सकती है और खुद को भटका हुआ भी महसूस कर सकती है। इस पीढ़ी की सबसे बड़ी ताकत इनका डिजिटल दिमाग है, जो सूचनाओं के महासागर में तैरना जानता है। वे जाति, रंग और लिंग की सीमाओं से परे सोचते हैं और विविधता को सहजता से स्वीकार करते हैं। उनमें सूचनाओं के ढेर से सच और गलत को पलक झपकते पहचानने की अद्भुत क्षमता है। लेकिन यही ताकत उनकी चुनौती भी है। हर चीज़ तुरंत पाने की चाहत उनमें धैर्य की कमी पैदा करती है। सूचनाओं की बाढ़ अक्सर उन्हें सतही ज्ञान देकर रोक देती है, जिससे वे मुद्दों की गहराई में उतरने से चूक जाते हैं। उनका उत्साह क्रांतिकारी है, लेकिन व्यावहारिक राजनीति और प्रशासनिक दांव-पें...

"माँ का आह्वान : महाशक्ति से साक्षात्कार का समय"

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शारदीय नवरात्रि : आस्था, ऊर्जा और आत्म-उत्थान का महापर्व (प्रवीण कक्कड़) हवा में एक नई ऊर्जा घुलने लगी है, वातावरण में एक आध्यात्मिक स्पंदन महसूस हो रहा है। यह संकेत है कि शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व हमारे द्वार पर दस्तक दे रहा है। नौ दिनों तक चलने वाला दिव्य उत्सव, जो केवल उपवास, पूजा और गरबे तक सीमित नहीं, बल्कि यह हम सभी के लिए एक वार्षिक आमंत्रण है, अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से थोड़ा ठहरकर, अपने भीतर की उस महाशक्ति को पहचानने का, जो हर चुनौती को अवसर में बदलने का सामर्थ्य रखती है। इस पावन उत्सव पर, आइए इस बार केवल उपवास ही नहीं, बल्कि अपने भीतर आत्म-जागरण का भी प्रण लें। यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि शक्ति कोई बाहरी वस्तु नहीं, बल्कि हमारे अंदर की वह चेतना है, जो सही समय पर जागृत हो जाए तो असंभव को भी संभव बना देती है। जब हम आदिशक्ति को नमन करते हैं, तो हम उस मूल ऊर्जा को प्रणाम करते हैं जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड का सृजन हुआ। आज जब दुनिया अनिश्चितताओं और तनाव से जूझ रही है, तो यह उपासना हमें सिखाती है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत है। माँ की शक्ति हमें पोषण भी देती है और अन्याय के व...

हिन्दी: केवल भाषा नहीं, भारत की आत्मा का स्वर

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आइए, हिन्दी दिवस पर इस गौरव को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का संकल्प लें ( प्रवीण कक्कड़ ) प्रत्येक राष्ट्र की एक आत्मा होती है, एक धड़कन होती है, जो उसके करोड़ों नागरिकों को एक सूत्र में बाँधती है। भारत के लिए वह धड़कन, वह आत्मिक स्वर हमारी हिन्दी है। यह केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की गंगोत्री, हमारी भावनाओं का सेतु और हमारी राष्ट्रीय एकता का सबसे सशक्त आधार है। हिन्दी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने इसे भारत की राजभाषा का गौरव प्रदान किया था। हिन्दी दिवस का अवसर केवल एक भाषा का उत्सव नहीं, बल्कि उस शक्ति को पहचानने का आह्वान है, जो भारत को 'भारत' बनाती है। आज जब दुनिया अपनी-अपनी भाषाई जड़ों पर गर्व कर रही है, हमें भी यह समझना होगा कि हिन्दी को केवल पाठ्यपुस्तकों या सरकारी फाइलों तक सीमित नहीं रखा जा सकता। यह हमारे विचारों, व्यवहार और सपनों में जीने वाली भाषा बने। यही असली उद्देश्य होना चाहिए। पहचान और स्वाभिमान का प्रतीक हिन्दी भारत की वह डोर है जो कश्मीर से कन्याकुमारी और अरुणाचल से गुजरात तक हर भारतीय के दिल को जोड़ती ह...