“लक्ष्य तक वही पहुँचता है, जो सही समय पर लेता है ‘निर्णय’”
जब अवसर दरवाज़ा खटखटाएँ, तो देर नहीं, निर्णय चाहिए (प्रवीण कक्कड़) जीवन अवसरों और चुनौतियों का अनवरत सिलसिला है, और इनके बीच सबसे निर्णायक सेतु है—निर्णय। हम अक्सर किसी चौराहे पर खड़े होते हैं: ‘हाँ’ कहें या ‘ना’, सुरक्षित मार्ग चुनें या जोखिम लें, कदम आगे बढ़ाएँ या यथास्थिति बनाए रखें। यह क्षणिक ठहराव—यदि लंबा खिंच जाए—धीरे-धीरे जीवन की गति और ऊर्जा को सोख लेता है। अनिर्णय व्यक्ति को निष्क्रियता की ओर धकेलता है और निष्क्रियता अंततः ठहराव का कारण बनती है। एक पूर्व पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ निभा चुका व्यक्ति होने के नाते मेरा अनुभव यही कहता है: निर्णय लेना ही नहीं, सही समय पर सही निर्णय लेना सफलता का सबसे बड़ा तत्व है। इतिहास साक्षी है कि समयबद्ध और साहसिक निर्णयों ने व्यक्तियों, संस्थाओं और राष्ट्रों की दिशा बदल दी। निर्णय: अस्तित्व का आधार और प्रेरणा की धुरी निर्णय केवल विकल्प चुनना नहीं, भविष्य की रूपरेखा तय करना है। जिस क्षण हम साहसिक निर्णय लेते हैं, उसी क्षण हम अपने आने वाले अवसरों की दिशा भी चुन लेते हैं। – स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में बोलने का निर्णय लिया—भारतीय...