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भगोरिया: प्रेम, परंपरा और उल्लास का अद्भुत संगम

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(प्रवीण कक्कड़) बात करीब चार दशक पहले की है। पुलिस सेवा में ज्वाइन होने के बाद मेरी पोस्टिंग आदिवासी अंचल झाबुआ में हुई। यहां आदिवासी संस्कृति को बहुत करीब से देखने का अवसर मिला। विशेष रूप से होली के पहले होने वाले भगोरिया के दौरान तो आदिवासी समाज का उत्साह देखते ही बनता था। आदिवासी अंचलों में विभिन्न पोस्टिंग के दौरान हुए अनुभवों के आधार पर कह सकता हूं कि आदिवासी समाज एक प्रकृतिप्रेमी समाज है, जो मौसम की विभिन्न ऋतुओं के अनुसार अपने अलग-अलग त्यौहार मनाता है। आदिवासी समाज की विशेष वेशभूषा, व्यंजन और लोकगीत व नृत्य की भगोरिया के मेलों में अनूठी झलक दिखती है। होली के रंगों में रंगने से पहले, आदिवासी समाज भगोरिया के जीवंत उत्सव में डूब जाता है। मालवा और निमाड़ की पहाड़ियों और जंगलों में, यह पर्व युवाओं के दिल में उमंग और उत्साह का संचार करता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति की जीवंत अभिव्यक्ति है, जहाँ परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिलता है। भगोरिया में हर तरफ रंगों की बौछार होती है। गुड़ की जलेबी, भजिये, खारिये, पान, कुल्फी, केले और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों...

नया साल : अपने सपनों को साकार करने का समय

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(प्रवीण कक्कड़)  हम दिसंबर के अंतिम दिनों में हैं, कुछ ही दिन बाद ही नया साल शुरू हो जाएगा। नया साल न सिर्फ एक नया कैलेंडर है, बल्कि नए अवसरों और नई शुरुआत का भी प्रतीक है। यह साल आपके जीवन में वो सब कुछ लाए जो आप चाहते हैं लेकिन इसके लिए आपको कुछ करना होगा। आज ही एक नया संकल्प लें। वो संकल्प जो आपको एक बेहतर इंसान बनाए। वो संकल्प जो आपके सपनों को साकार करे। याद रखें, सफलता किसी के दरवाजे पर नहीं आती, उसके लिए मेहनत करनी होती है। इस साल, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहें। हर दिन एक कदम आगे बढ़ाएं। मुश्किलें आएंगी, लेकिन हार मत मानिए। याद रखिए, आप हर मुश्किल का सामना करने के लिए सक्षम हैं। नए वर्ष में कैलेंडर ही नहीं बदलता बल्कि बहुत कुछ ऐसा होता है जो बदल जाता है। नया वर्ष हम सभी की उम्र में एक वर्ष जोड़ देता है। हमारे अनुभव की पूंजी में 12 माह की वृद्धि कर देता है।  हमारे जीवन की गति को कुछ और तेज कर देता है। पूर्णाहुति की तरफ बढ़ रहे हमारे कदमों को अपनी मंजिल के कुछ और निकट ला देता है। इसलिए नया वर्ष जब आता है तो नए वर्ष का उगता सूरज हमें नए संकल्पों और नई ...

दया, प्रेम और शांति की प्रेरणा है क्रिसमस

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- "प्रभु यीशु ने जो कहा उसका संकलन बाइबिल में है लेकिन उन्होंने जो जीवन जिया उसका संकलन मानवता की स्मृतियों में है"   (प्रवीण कक्कड़) 25 दिसंबर को पूरे विश्व में क्रिसमस का त्यौहार मनाया जा रहा है। ईसा मसीह का जीवन दया, प्रेम और शांति का संदेश देता है। प्रभु यीशु ने जो कहा उसका संकलन बाइबिल में है लेकिन उन्होंने जो जीवन जिया उसका संकलन मानवता की स्मृतियों में है। इसलिए यह त्यौहार धर्म की सीमाओं को पार कर मानवता को एक सूत्र में बांधता है। भारत की संस्कृति अद्वैतवाद की संस्कृति है। ऐसे में भारत में क्रिसमस पर्व सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है। रोमन साम्राज्य की रक्त पिपासा के बीच जीसस शांतिदूत बनकर पृथ्वी पर आए। दिशाहीन मानवता को उन्होंने एक दिशा प्रदान की। भटके हुए लोगों को सही राह दिखाई और इंसानियत के लिए ही अपना बलिदान दिया।  क्रिसमस भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रकटन है। धर्म, जाति और संप्रदाय से परे सभी लोग मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं। यदि हम भारतीय वांग्मय में देखें तो अद्वैत की परिकल्पना सर्वश्रेष्ठ है। जब ईश्वर की प्रार्थना एकाकार होकर की जाए तो वह अद्वैत ही होता है।...

मध्य प्रदेश में बढ़ता प्रदूषण : क्या सांस लेना होगा मुश्किल ?

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- राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस पर विशेष  (प्रवीण कक्कड़) दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो गया है, यह बात हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश भी धीरे-धीरे दिल्ली की राह पर चल पड़ा है। मध्य प्रदेश के कई शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। विशेषकर सर्दियों के मौसम में पराली जलाने और पटाखों के कारण वायु प्रदूषण अधिक बढ़ जाता है। हाल ही में जारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों से यह बात साफ हो गई है कि मध्य प्रदेश के कई शहरों में वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 54 जिलों में से 13 जिलों को मॉडरेट, 37 जिलों को सेटिस्फेक्ट्री और महज 4 जिलों को अच्छी कंडीशन में रखा गया है। ये आंकड़े हमें आगाह करते हैं कि अगर हमने समय रहते कदम नहीं उठाए तो मध्य प्रदेश भी जल्द ही दिल्ली जैसी स्थिति का सामना कर सकता है। हमारी पृथ्वी प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है, खासकर वायु प्रदूषण। यह समस्या न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साल 2023-24 को लेकर ...

शॉर्टकट से नहीं मिलती सफलता

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(प्रवीण कक्कड़) हमारा देश आज युवाओं की उमंग से भरा हुआ है। हमारी युवा पीढ़ी नए तकनीक को अपनाने और रचनात्मक विचारों से दुनिया को बदलने की क्षमता रखती है लेकिन कुछ युवा ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर गलत रास्ते पर जा रहे हैं। कई ऑनलाइन एप उन्हें शॉर्टकट से पैसा कमाने का लालच देकर उन्हें इस जाल में फंसाते हैं। वे पैसे लगाने लगते हैं और जुआ-सट्टा के जाल में फंसते चले जाते हैं। याद रखें, सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। आइए हम सभी मिलकर युवाओं को प्रेरित करें, माता-पिता, शिक्षक और समाज का हर सदस्य इस दायित्व को निभाए और उन्हें एक उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करें। जीवन में सफलता पाने के लिए मेहनत, अनुशासन और धैर्य अनिवार्य हैं। यह कोई नया सिद्धांत नहीं है, बल्कि सदियों से चली आ रही सच्चाई है। फटाफट पैसा कमाने के चक्कर में युवा अपनी मेहनत को नजरअंदाज कर देते हैं और आसान रास्तों की तलाश में जुट जाते हैं। लेकिन यह रास्ता अक्सर उन्हें बर्बादी की ओर ले जाता है। गेमिंग और ऑनलाइन जुआ-सट्टा जैसी गतिविधियों में जीतने की संभावना बहुत कम होती है। अधिकतर लोग इसमें अपना पैसा गंवा देते हैं और कर्ज में डूब जाते है...

सतगुरु नानक प्रगट्या, मिटी धुंध जग चानन होया...

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सेवा और समर्पण का संदेश देता है गुरु नानक जयंती पर्व (प्रवीण कक्कड़) कल्पना कीजिए, एक अंधेरे कमरे में अचानक एक दीपक जल उठे। अंधेरा छंटने लगता है और हर कोने में उजाला फैल जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ जब गुरु नानक देव जी इस संसार में प्रकट हुए। उनके आगमन से अंधकार को चीरती हुई ज्ञान की किरणें बिखर गईं। सतगुरु नानक प्रगट्या, मिटी धुंध जग चानन होया... ये पंक्ति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी पहले थी। गुरु नानक देव जी सिर्फ एक धार्मिक गुरु ही नहीं थे, बल्कि वे एक महान संत, दार्शनिक और समाज सुधारक भी थे। उनके उपदेशों ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया। उन्होंने हमें सिखाया कि सभी मनुष्य एक हैं और हमें एक दूसरे से प्रेम और भाईचारा रखना चाहिए। गुरु नानक जयंती सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जब हम गुरु जी के जीवन और उपदेशों पर चिंतन करते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि हमें अपने जीवन में सच्चाई, न्याय और करुणा के मार्ग पर चलना चाहिए। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव जी ने मानवता के लिए अन...

सेवानिवृत्ति : अनुभवी पारी का आग़ाज़

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- नई ऊर्जा और नये लक्ष्य के साथ करें नई शुरुआत (प्रवीण कक्कड़) शासकीय सेवाकाल में सेवानिवृत्ति की तारीख़ की गणना सेवा शुरूआत करने के दिन से ही शुरू हो जाती है। सारे लक्ष्य, सारे उसूल और सारे मापदंड को हम एक तारीख़ के साथ जोड़ देते है, जो कई बार नकारात्मक विचारों के साथ इसे सेवा का नहीं बल्कि ख़ुशियों का अंत दिखने लगता है। लेकिन हक़ीक़त इससे बिल्कुल परे है। सेवा निवृत्ति दर असल आपके दीर्घकालिक अनुभवों और हसरतों के साथ नये अध्याय की ज़ोरदार शुरुआत का शंखनाद होती है। मैने पिछले दो दिनों में ऐसी दो महान विभूतियों को खोया है, जिनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय सेवानिवृत्ति के बाद ही शुरू हुआ। पहले डॉ. एमएल भाटी जिन्होंने आदिवासी क्षेत्र राणापुर में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया और पीड़ितों की सेवा और मानवता की सर्वश्रेष्ठ मिसाल बनकर लोगों के दिलों में राज करते रहे। दूसरे रिटायर्ड डीएसपी एनएस जादौन जिन्होंने सैकड़ो बुजुर्गों की सेवा की, उन्हें कानूनी अधिकार दिलाए और समाज में सम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान किया। वे रिटायरमेंट के बात से अपने जीवन की अंतिम सांस तक बुजुर्गों की सेवा में लग...