ऊर्जा संरक्षण: आज का अनुशासन, कल की राष्ट्रीय सुरक्षा
एक यूनिट बिजली बचाना, सवा यूनिट उत्पादन के बराबर है 14 दिसंबर राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के विशेष संदर्भ में ( प्रवीण कक्कड़ ) ऊर्जा संरक्षण आज केवल पर्यावरण या घरेलू बिजली बिल का विषय नहीं रह गया है। यह अब राष्ट्र की आर्थिक स्थिरता, रणनीतिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता से जुड़ा हुआ प्रश्न बन चुका है। 14 दिसंबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हमें यह समझने का अवसर देता है कि ऊर्जा की बचत भी ऊर्जा उत्पादन का ही एक प्रभावी और जिम्मेदार स्वरूप है। बदलते वैश्विक परिदृश्य में ऊर्जा संरक्षण भारत के लिए एक विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्य राष्ट्रीय नीति बन चुका है। ऊर्जा संरक्षण हम सब की जिम्मेदारी है याद रखिये - एक यूनिट बिजली बचाना, सवा यूनिट उत्पादन के बराबर है। ऊर्जा संरक्षण का मूल मंत्र सरल शब्दों में कहा जाए तो “कम संसाधनों में अधिक उत्पादन और कम प्रदूषण में अधिक विकास” यही ऊर्जा संरक्षण का मूल दर्शन है। यह दर्शन हमें बताता है कि विकास और पर्यावरण परस्पर विरोधी नहीं हैं, बल्कि संतुलन के साथ आगे बढ़ने पर एक-दूसरे को सशक्त करते हैं। एक दूरदर्शी शुरुआत भारत में ऊर्जा संरक्षण की संग...