सावन: भक्ति का प्रवाह और आत्म-परिवर्तन का महायोग
हरियाली का उत्सव : प्रकृति की गोद में नवजीवन का संकल्प
(प्रवीण कक्कड़)
सावन का महीना दस्तक दे चुका है, और इसके साथ ही प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है। रिमझिम फुहारें, मिट्टी की सौंधी खुशबू और हवा में घुली ताजगी सिर्फ मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना के जागरण का भी संकेत है। यह वो पावन समय है जब हर कण भगवान भोलेनाथ महादेव की भक्ति में लीन हो जाता है, और उनकी आराधना का विशेष महत्व होता है। सावन हमें सिर्फ भक्ति में डूबने का ही नहीं, बल्कि जीवन को गहरे अर्थों में समझने और स्वयं को बेहतर बनाने का एक स्वर्णिम अवसर देता है।
सावन हमें जीवन के बीज बोने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। प्रकृति की नम मिट्टी और जीवनदायी वर्षा इस समय को पौधारोपण के लिए सर्वोत्तम बनाती है। एक छोटा-सा पौधा, जिसे आप आज रोपित करते हैं, वह भविष्य में एक विशाल छायादार, फलदार या फूलदार वृक्ष बन सकता है। यह हमें सिखाता है कि कैसे आपके छोटे-छोटे प्रयास भी दीर्घकाल में बड़ी उपलब्धियां, गहरा सुकून और स्थायी खुशियां प्रदान कर सकते हैं। यह सिर्फ पेड़ लगाना नहीं, यह भविष्य के लिए निवेश है, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता है, और जीवन के निरंतर विकास में विश्वास का प्रतीक है।
मन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार: विचारों की फसल
धरती पर बीज बोने के साथ ही, सावन हमें अपने मन में आध्यात्मिक विचारों के बीज रोपने का गहरा अवसर भी देता है। ठीक जैसे बारिश में धरती के बीज अंकुरित होते हैं, वैसे ही सावन की पवित्र ऊर्जा हमारे मन को सकारात्मकता और ज्ञान से सींचती है। ये आध्यात्मिक बीज हमारे विचारों को फलने-फूलने का अवसर देते हैं, जिससे हमारे जीवन में शांति, आनंद और आंतरिक शक्ति की फसल तैयार होती है। ये विचार न केवल हमारे स्वयं के जीवन को समृद्ध करते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत बनते हैं, ठीक वैसे ही जैसे एक घना वृक्ष राहगीरों को छाया देता है।
देवी अहिल्या की शिवभक्ति
इंदौर के लिए सावन का महत्व और भी अनूठा है। यहां की लोकमाता, देवी अहिल्याबाई होल्कर, स्वयं एक महान शिव भक्त थीं, जिनकी हर प्रतिमा में हाथ में शिवलिंग उनकी अटूट आस्था का प्रतीक है। उनकी भक्ति और दूरदृष्टि ने इंदौर को एक समृद्ध और धार्मिक नगरी के रूप में स्थापित किया। सावन में इंदौर का हर कोना भक्तिमय हो जाता है, जहां मंदिरों में 'बम-बम भोले' के जयकारे गूंजते हैं और हर हृदय शिव के रंग में रंग जाता है।
ज्योतिर्लिंगों का सानिध्य
इंदौर से कुछ ही दूरी पर स्थित भगवान शिव के दो प्रमुख ज्योतिर्लिंग - उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर और नर्मदा तट पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - इस क्षेत्र की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाते हैं। महाकालेश्वर, जो एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, और ओंकारेश्वर, जहां ममलेश्वर के भी दर्शन होते हैं, विश्व भर के भक्तों को आकर्षित करते हैं। सावन के सोमवारों पर और कावड़ यात्राओं के दौरान इन स्थानों की महिमा और भी बढ़ जाती है, जब भक्त शिव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए दूर-दूर से उमड़ते हैं, प्रकृति की गोद में भक्ति का अलौकिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
जीवन को दिशा देने वाला प्रेरणा स्रोत
सावन का महीना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, यह हमें प्रकृति के करीब आने और उसके महत्व को समझने का गहरा संदेश देता है। जब चारों ओर हरियाली छा जाती है, तब हमें पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा मिलती है। पेड़-पौधे लगाना, जल का सम्मान करना, और प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाना ही सच्चे अर्थों में शिव की आराधना है।
यह महीना हमें अपनी जड़ों से जुड़ने, अपनी संस्कृति का सम्मान करने और प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर जीवन को एक नई, सकारात्मक दिशा देने का आह्वान करता है। सावन की हर बूंद में महादेव का आशीर्वाद है, और हरियाली में उनकी विराटता का दर्शन। तो आइए, इस सावन में हम प्रकृति का अभिनंदन करें, महादेव की भक्ति में लीन हों, और अपने भीतर एक नई, अटूट ऊर्जा का संचार करें जो हमें जीवन के हर क्षेत्र में निरंतर फलने-फूलने और उच्चतम ऊंचाइयों को छूने में मदद करेगी। यह समय है अपनी आंतरिक शक्ति को जगाने और एक प्रेरणादायक जीवन जीने का!
सावन का महिना, जीवन में, सर्वोत्तम समय है, जैसा आपने भी प्रकाश डाला है अध्यात्मिक, हरियाली, और मां अहिल्या बाई होलकर,की शिव-भक्ति।
जवाब देंहटाएंमेरी प्रार्थना शिव जी से है,एक बार, हमारी धरती के अच्छे भविष्य और संस्कारों को बनाए रखने के लिए,एक बार, मां अहिल्या को धरती पर भेज दें,हम सब वर्तमान समाज को देखकर व्यथित हैं।
दुःख है, हमने क्या, ग़लत किया,जो परछाई,हम पर भी, पड़ रही है।
आपके हर लेख, अति-उत्साह जाग्रत करते हैं,यह रूप आपका मनोहर और स्वागत, योग्य है, यदि आदेश हो तो ज्यादा से ज्यादा प्रचारित किया जा सके,इसका अंश स्नान जैसा भी हों जाये,तो भी, कुछ वातावरण सावन जैसा हो जाये, Artificial atmosphere, Natural atmosphere जैसा परिवर्तित हो सके।
सादर भाई साहब
आर के सिंह इंदौर
जवाब देंहटाएंLife in the lap of greenery of nature transforms every being. It's a boon to the human life. Spending time in the company of nature brings joy and concentration. Well written sir💐💐
जवाब देंहटाएं