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पिता चाहते हैं कि संतान उनके सारे कीर्तिमानों से आगे बढ़ जाए

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 *- 18 जून फादर्स डे पर विशेष*   (प्रवीण कक्कड़ ) पुं नरकात् त्रायते इति पुत्र:  सर्वत्र जयमन्विच्छेत्, पुत्रादिच्छेत् पराभवम्।  सार यह है-  संतान वह है जो पिता को उनकी वर्तमान स्थिति से ऊंचा ले जाए। पिता सारे जहां को जीतने की इच्छा रखते हैं। वे ये भी चाहते हैं कि उनके सारे कीर्तिमान संतान तोड़ दें और उनसे आगे बढ़ जाए। संतान का कर्तव्य तभी पूरा होगा जब वह एक पल के लिए भी पिता के गर्व का कारण बन सके।  एक पिता तभी गौरवान्वित होता है जब उसकी संतान उससे चार कदम आगे चले। जब उसकी संतान की उपलब्धियां उससे कहीं ज्यादा हों। जब उसकी संतान की सामाजिक और आर्थिक हैसियत उससे आगे बढ़कर हो। संसार में पिता ही एकमात्र प्राणी है जो उसकी संतान के उत्कर्ष का आनंद लेता है। भाई - भाई की प्रतिष्ठा से जल सकता है। बहनों में ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा का भाव हो सकता है। मित्र, पड़ोसी और शुभचिंतक भी अपने किसी खास का उत्कर्ष कई बार बर्दाश्त नहीं कर पाते लेकिन पिता वह है जो अपने पुत्र के आगे बढ़ते हर कदम पर गौरवान्वित और प्रसन्न होता है। वह अपनी संतान की उपलब्धियों से खुद को ऊंचाइयों पर महसूस करता है। कभी अभिमान तो कभ

मनुष्य और पर्यावरण का संगम ही ‘‘जीवन’’ है...

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- 5 जून: विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष  (प्रवीण कक्कड़) 5 जून 1992 की बात है जब ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जैव विविधता पर पृथ्वी शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में दुनिया भर के सभी जागरूक और जिम्मेदार देश शामिल हुए लेकिन दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका इस सम्मेलन के समझौते का हिस्सा नहीं था। भारत ने इस सम्मेलन में पूरी जिम्मेदारी के साथ भाग लिया जिसके फैसलों को 29 दिसंबर 1993 को लागू किया गया। इसके 20 साल पहले वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। 16 सितंबर 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में ओजोन परत को बचाने के लिए समझौता किया गया। बाद में वैज्ञानिक सहमति के आधार पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए 1992 में क्योटो प्रोटोकॉल पर बड़ी संख्या में देशों ने हस्ताक्षर किए थे। भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत की संसद द्वारा 1986 में पारित किया गया था। इसे संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत पारित किया गया था। यह 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ था।  ऐसे अनेक मील के पत्थर हैं। जिनका जिक्र यहां करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि पर्यावरण को लेकर अंतरर