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मजदूर दिवस : हम ने हर दौर के हाथों को हिना बख़्शी है

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(मजदूर दिवस 1 मई पर विशेष)  (प्रवीण कक्कड़)  हम ने हर दौर में तज़लील सही है लेकिन  हम ने हर दौर के चेहरे को ज़िया बख़्शी है  हम ने हर दौर में मेहनत के सितम झेले हैं  हम ने हर दौर के हाथों को हिना बख़्शी है... साहिर लुधियानवी की इन पंक्तियों में मजदूरों का दर्द भी छुपा है और उनके योगदान का अक्स भी दिखाई देता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस दुनिया में अलग अलग नाम से मनाया जाता है। लेकिन भावना वही है, इस धरती को जिन्होंने बनाया है, उन मजदूरों को इज्जत और सम्मान देना। उनके वजूद को महसूस करना और उनके महत्व को समझना। और उनके अधिकारों को बाधित ना करना। दुनिया में सुई से लेकर अंतरिक्ष में जाने वाले राकेट तक, सड़क से लेकर गगनचुंबी इमारतों तक, शहर से लेकर गांव तक, साइकिल से लेकर प्लेन तक सब कुछ मजदूर ही तो बनाते हैं। मजदूर याने श्रमिक। इसलिए श्रम और श्रमिक का सम्मान जरूरी है। दुनिया के सभी मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या है श्रम का अवमूल्यन। लाभ का एक बड़ा हिस्सा जब पूंजीपति की जेब में जाता है तो श्रम का अवमूल्यन शुरू हो जाता है। और यहीं से शोषण शुरू होता है। यह शोषण सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र में है।

अहिंसा और क्षमा का संदेश देता है भगवान महावीर का जीवन

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( प्रवीण कक्कड़ ) जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने समाज को अहिंसा और क्षमा का संदेश दिया। उनके उपदेशों से हमें सीख मिलती है कि हमें सत्य व अहिंसा के मार्ग पर अटल होना चाहिए, वहीं हर व्यक्ति से मैत्रीभाव रखना चाहिए, किसी भी व्यक्ति के प्रति हमारा बैर भाव नहीं होना चाहिए। महावीर जयंती का त्यौहार, सत्य, क्षमा, धर्म और आध्यात्मिक जागृति के सिद्धांतों को जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले 540 ईसा पूर्व वैशाली राज्य के कुंडग्राम में क्षत्रिय परिवार में हुआ। विलासिता और ऐश्वर्य में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने सत्य और ज्ञान की आध्यात्मिक खोज शुरू करने के लिए भौतिक दुनिया को त्याग दिया। करीब 30 वर्ष की आयु में उन्होंने संसार से विरक्त होकर राजवैभव का त्याग कर दिया और आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। करीब 12 वर्षों की कठिन तपस्या में भगवान महावीर ने जिस ज्ञान की प्राप्ति की, उससे समाज को जागृत करने का प्रयास किया। उन्होंने सभी जीवित प्राणियों के कल्याण की वकालत की और सभी के लिए करूणा, सहिष्णुता और सम्मान का उपदेश दिया। करीब 72 वर्ष की आयु में उ