समय के प्रबंधन और अनुशासन की सीख ने जीवन में किया सफल
- शिक्षक दिवस पर विशेष
( प्रवीण कक्कड़)
आज शिक्षक दिवस है। आज के दिन मुझे अपने शिक्षक स्वर्गीय श्री चंद्रपाल सिंह सिकरवार जी की बातें स्मरण हो रही हैं। मैंने अपने जीवन में अनुशासन, समय की पाबंदी और समाज के प्रति सेवा की भावना उन्हीं से सीखी है। आज से 50 साल पहले जब करियर काउंसलिंग के मायने भी नहीं समझ जाते थे, उस समय श्री सिकरवार सर विद्यार्थियों को किस क्षेत्र में कैरियर बनाना है इसकी समझाइश दिया करते थे। शिवपुरी के शासकीय कॉलेज में पढ़ाने के साथ ही उन्होंने 1974-75 से विद्यार्थियों की निशुल्क कोचिंग शुरू की और पूरे जीवन को विद्यार्थियों को समर्पित कर दिया। वे न केवल उन्हें करियर के प्रति जागरुक करते थे बल्कि यूपीएससी, पीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी उन्हें प्रेरित किया करते थे। इस निशुल्क मार्गदर्शन से बड़ी संख्या में विद्यार्थी तैयार हुए और शासकीय सेवाओं सहित समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियां को समझ कर राष्ट्र निर्माण में लग रहे। मैं भी उन्हीं छात्रों में से एक हूं और आज जिन भी गुणों के कारण समाज में मेरी शोहरत है, वे श्री सिकरवार सर के ही मार्गदर्शन की बदौलत है। मैं उनका छात्र होने के कारण स्वयं को गौरवन्वित महसूस करता हूं। आज वह इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी बातें मेरे जीवन में उतरी हुई है और इसी कारण में समाज को उन बातों से परिचित करा पा रहा हूँ।
जिस प्रकार एक शिल्पकार पत्थर को आकार देता है और कच्ची मिट्टी को तपाकर उसके विकारों को दूर करता है। ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी विद्यार्थियों के अवगुणों को दूर कर काबिल बनाता है। एक शिक्षक ही है जो मनुष्य को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है और जीवन में सही-गलत को परखने का तरीका सिखाता है। जैसे एक मजबूत भवन के लिए पक्की नींव जरूरी है, वैसे ही हमें बेहतर जीवन के लिए शिक्षक का सानिध्य और मार्गदर्शन जरूरी है। शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। शिक्षक समाज में नैतिक मूल्यों और आदर्श नागरिकों का निर्माण करते हैं।
भारत में प्रतिवर्ष डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों को समाज के विकास में उनके अनकहे योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। ज्ञान ही इंसान को जीने योग्य जीवन की सीख देता है। शिक्षक ज्ञान का वह अविरल स्रोत है, जो लाखों छात्रों के भाग्य का निर्माण करता है। वह ज्ञान का एक ऐसा भंडार है, जो दूसरों को बनाने में स्वयं मिट जाता है। कहा जाता है कि, एक बच्चे के जन्म के बाद उसकी मां पहली गुरू होती है, जो अक्षरों का बोध कराती है। वहीं दूसरे स्थान पर शिक्षक होते हैं, जो हमें काबिल बनाते हैं और सांसारिक बोध कराते हैं। जिंदगी के इम्तिहान में शिक्षकों के सिखाए गए सबक हमें सफलता की बुलंदियों पर ले जाते हैं। प्राचीन काल से ही गुरुओं का हमारे जीवन में विशेष योगदान रहा।
5 सितंबर के ही दिन भारत देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ राधा कृष्णन का जन्म हुआ था। वह एक महान दार्शनिक शिक्षक भी थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनका अहम लगाव था। उन्होंने 40 साल तक शिक्षक के रूप में कार्य किया। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति का भी पदभार संभाल चुके थे। अपने जीवन काल के दौरान वह एक मेधावी छात्र, प्रसिद्ध शिक्षक, एक बहुप्रसिद्ध लेखक और प्रसाशक भी रहे। साथ ही अपनी प्रतिभा के दम पर ही वह देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने। इतने ऊंचे पद पर रहने के बावजूद डॉक्टर साहब की सादगी देखने लायक थी।
किसी भी देश के बेहतर भविष्य का निर्माण उस देश के शिक्षकों के जिम्मे रहता है। वे उस देश के नागरिक को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाने का रास्ता दिखाने का काम करते हैं। साथ हीं उन्हें सही और गलत को परखने का तरीका भी बताते हैं। इस तरह इंसान की पहली गुरु उसकी मां कही जाती है, जबकि शिक्षक उसे सांसारिक बोध कराने यानी जीवन में आगे बढ़ने का सही मार्गदर्शन करता है। शिक्षक के इसी महत्व को देखते हुए हमारे देश में हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
किसी भी देश का उज्जवल भविष्य उस देश के शिक्षकों पर निर्भर करता है। वे युवाओं को सही दिशा में बढ़ने और सही रास्ता दिखाने का काम करते हैं। वे ही अपनी शाला में देश के नेताओं, डॉक्टर, इंजीनियर, किसान, शिक्षक, व्यवसाइयों की नींव डालते हैं और देश की नियति को सही आकार देते हैं। इसके अलावा, समाज में नैतिक और आदर्श नागरिकों के निर्माण में भी उनका अभिन्न योगदान होता है। इतनी बड़ी भूमिका निभाने वाले शिक्षकों को सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
मार्गदर्शन प्रदान करने वाला सराहनीय, प्रेरणास्पद पोस्ट 🙏💐
जवाब देंहटाएंExcellent, teachers are the makers of a good and great nation through its citizens👍
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