युवाओं के लिए प्रेरणा है क्रांतिकारियों का जीवन
"शहीदों की
चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का
यही बाकी निशां होगा।"
(प्रवीण कक्कड़)
23 मार्च,
1931 का दिन भारतीय इतिहास का वह काला अध्याय है, जब अंग्रेजी हुकूमत ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव
को फांसी पर चढ़ाकर देश को सदमे में डाल दिया। लेकिन उनकी शहादत ने भारत की आजादी
की लड़ाई को नई ऊर्जा दी। यह दिन न केवल उनकी याद में मनाया जाता है, बल्कि यह हमें उनके विचारों और आदर्शों को अपनाने का संकल्प दिलाता है। ये
तीनों क्रांतिकारी सिर्फ नाम नहीं, बल्कि देशभक्ति, साहस और बलिदान के प्रतीक हैं। उनकी शहादत ने युवाओं के दिलों में आजादी
की अलख जगाई और आज भी उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
क्रांति के तीन स्तंभ:
भगत सिंह,
राजगुरु और सुखदेव
1. भगत सिंह (1907-1931)
भगत सिंह ने सिर्फ 23 साल की उम्र में ही देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनका सपना एक
ऐसा भारत था, जहां सामाजिक समानता और न्याय हो। उन्होंने न
केवल अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि समाज में
व्याप्त असमानता और शोषण के खिलाफ भी आवाज उठाई। 1928 में
लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने सांडर्स की हत्या की। दिल्ली
असेंबली में बम फेंककर उन्होंने अंग्रेजी शासन को चुनौती दी और "इंकलाब
जिंदाबाद!" का नारा लगाया। भगत सिंह ने यह साबित कर दिया कि क्रांति केवल
हिंसा से नहीं, बल्कि विचारों से भी की जा सकती है।
2. सुखदेव थापर
(1907-1931)
सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन
एसोसिएशन (HSRA) के प्रमुख सदस्य थे। उन्होंने भगत सिंह
और राजगुरु के साथ मिलकर भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। सुखदेव ने युवाओं
को क्रांतिकारी विचारधारा अपनाने के लिए प्रेरित किया और उन्हें समाज में बदलाव
लाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका मानना था कि युवा शक्ति ही देश को बदल सकती
है।
3. शिवराम
राजगुरु (1908-1931)
राजगुरु एक साहसी और कुशल निशानेबाज थे।
उन्होंने सांडर्स की हत्या में अहम भूमिका निभाई और भगत सिंह के साथ मिलकर
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया। राजगुरु ने अपने जीवन का हर पल देश की
आजादी के लिए समर्पित कर दिया। उनका साहस और दृढ़ संकल्प युवाओं के लिए आज भी
प्रेरणादायक है।
युवाओं के लिए प्रेरणा
के सूत्र
1. "इंकलाब
जिंदाबाद!"
यह नारा सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का
आह्वान है। युवाओं को अपने विचारों और कार्यों से समाज में न्याय और समानता की
लड़ाई लड़नी चाहिए।
2. तार्किक सोच
और दृष्टिकोण
भगत सिंह द्वारा
लिखित प्रसिद्ध निबंध "मैं नास्तिक क्यों हूं" युवाओं
को अंधविश्वासों से दूर रहने और हर बात को तर्क की कसौटी पर परखने की प्रेरणा देता
है। उनका मानना था कि समाज को बदलने के लिए वैज्ञानिक सोच और तार्किक दृष्टिकोण
जरूरी है।
3. संघर्ष का
महत्व
भगत सिंह ने कहा था,
"सिर्फ सपने देखना काफी नहीं है, उन्हें
साकार करने के लिए निरंतर संघर्ष करना भी जरूरी है।" यह संदेश युवाओं को उनके
लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहने और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की
प्रेरणा देता है।
रोचक तथ्य -
"मैं अपने देश के लिए मुस्कुराते हुए मरने को तैयार
हूं।"
भगत सिंह का पिता को
पत्र :
भगत सिंह ने अपने पिता को लिखे पत्र में कहा, "मैं अपने देश के लिए मुस्कुराते हुए मरने को तैयार हूं।" उन्होंने कहा
कि उनका संघर्ष व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र की
स्वतंत्रता के लिए था। भगत सिंह ने इतिहास के महान शहीदों का उदाहरण देते हुए कहा
कि वे अपने आदर्शों और साथियों के बलिदान का अपमान नहीं कर सकते। उनका मानना था कि
उनकी मृत्यु उनके जीवन से ज्यादा देश को जगाएगी। यह पत्र न केवल उनकी दृढ़
इच्छाशक्ति और देशभक्ति को दर्शाता है, बल्कि युवाओं को साहस,
निडरता और आदर्शों के लिए समर्पण की प्रेरणा देता है।
2. भगत सिंह की
अंतिम इच्छा : फांसी से पहले भगत सिंह से उनकी आखिरी इच्छा
पूछी गई, तो उन्होंने कहा—"मैं क्रांति का गीत गाते हुए
जाना चाहता हूँ।" उनकी यह ज्वलंत सोच युवाओं को अपने लक्ष्यों के लिए अडिग
रहने की प्रेरणा देती है।
3. कलम और बंदूक
दोनों से क्रांति : भगत सिंह ने बम और पिस्तौल से ज्यादा कलम
को ताकतवर बताया था। उन्होंने जेल में रहते हुए कई क्रांतिकारी लेख लिखे, जो आज भी युवाओं को सोचने और समाज में बदलाव लाने की प्रेरणा देते
हैं।
आज के युवाओं के लिए
प्रासंगिकता
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत हमें यह याद दिलाती है कि देश के लिए बलिदान
देने वाले कभी नहीं मरते। उनकी विचारधारा और उनके आदर्श आज भी युवाओं के लिए
प्रेरणा का स्रोत हैं। आज के युवाओं को उनसे देशभक्ति, साहस
और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना सीखनी चाहिए। उनके जीवन से यह सीख मिलती है
कि देश की उन्नति के लिए हर व्यक्ति को अपना योगदान देना चाहिए।
शहीद दिवस सिर्फ एक
रस्म नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। यह हमें अपने
कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूक करता है। भगत सिंह, राजगुरु
और सुखदेव ने जो बलिदान दिया, उसे याद रखना और उनके विचारों
को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। युवाओं को उनके जज्बे और
संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए और देश की उन्नति में योगदान देना चाहिए।
हमेशा स्मरणीय रहेंगे 🙏
जवाब देंहटाएंहम सब बचपन से प्रेरित रहे हैं, हमारे समय, आदरणीय देशभक्तों का,एक नाटक, जरूर रहता था, हमने बच्चों को भी स्मरण कराया,उन वीरों की, जिनका स्मरण, आप करा रहे हैं।नमन तो ह्रदय से वीरों का रहता है, आपको भी नमन है,आप उनको याद करते हुए, लोगों के दिलों तक, उनकी यादें जाग्रत करा रहे हैं।सादर
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक सारगर्भित लेख l
जवाब देंहटाएंभारत के महान सपूतों को शत शत नमन
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंAtheism of Bhagat Singh was not agaist God but against superstition and in favour of scientific temperament. Ultimately this view was adopted in the Article 51A of the Constitution. Young generation should be made to read about the great martyrs and their views. The write up is precise, crisp and terse🙏
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