"माँ का आह्वान : महाशक्ति से साक्षात्कार का समय"
शारदीय नवरात्रि : आस्था, ऊर्जा और आत्म-उत्थान का महापर्व
(प्रवीण कक्कड़)
हवा में एक नई ऊर्जा घुलने लगी है, वातावरण में एक आध्यात्मिक स्पंदन महसूस हो रहा है। यह संकेत है कि शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व हमारे द्वार पर दस्तक दे रहा है। नौ दिनों तक चलने वाला दिव्य उत्सव, जो केवल उपवास, पूजा और गरबे तक सीमित नहीं, बल्कि यह हम सभी के लिए एक वार्षिक आमंत्रण है, अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से थोड़ा ठहरकर, अपने भीतर की उस महाशक्ति को पहचानने का, जो हर चुनौती को अवसर में बदलने का सामर्थ्य रखती है। इस पावन उत्सव पर, आइए इस बार केवल उपवास ही नहीं, बल्कि अपने भीतर आत्म-जागरण का भी प्रण लें।
यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि शक्ति कोई बाहरी वस्तु नहीं, बल्कि हमारे अंदर की वह चेतना है, जो सही समय पर जागृत हो जाए तो असंभव को भी संभव बना देती है। जब हम आदिशक्ति को नमन करते हैं, तो हम उस मूल ऊर्जा को प्रणाम करते हैं जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड का सृजन हुआ। आज जब दुनिया अनिश्चितताओं और तनाव से जूझ रही है, तो यह उपासना हमें सिखाती है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत है। माँ की शक्ति हमें पोषण भी देती है और अन्याय के विरुद्ध लड़ने का साहस भी। यह हमें विश्वास दिलाती है कि हमारे भीतर भी सृजन और संहार, दोनों की शक्ति निहित है, सृजन सकारात्मक विचारों का और संहार अपनी नकारात्मकता का।
नौ दिन, नौ संकल्प
नवदुर्गा के नौ रूप केवल देवी की मूर्तियाँ नहीं, बल्कि हमारे जीवन को बदलने वाले नौ शक्तिशाली सूत्र हैं। आइए, इस नवरात्रि में हर दिन एक देवी के गुण को अपने जीवन में उतारने का प्रण लेने की तैयारी करें:
पहले दिन का संकल्प - माँ शैलपुत्री (अडिग विश्वास): पर्वतराज की पुत्री की तरह अपने लक्ष्यों और मूल्यों पर चट्टान की तरह अडिग बनें। प्रण लें कि आने वाले दिनों में छोटी-मोटी बाधाओं से विचलित नहीं होंगे।
दूसरे दिन का संकल्प - माँ ब्रह्मचारिणी (अनुशासन): तप और संयम की देवी हमें सिखाती हैं कि महान चीजें अनुशासन से ही हासिल होती हैं। तय करें कि इस नवरात्रि कोई एक बुरी आदत छोड़ेंगे या एक अच्छी आदत को जीवन में शामिल करेंगे।
तीसरे दिन का संकल्प - माँ चंद्रघंटा (निर्भयता): यह रूप हमें डर पर विजय पाना सिखाता है। उस एक डर का सामना करने के लिए खुद को तैयार करें जो आपको आगे बढ़ने से रोक रहा है।
चौथे दिन का संकल्प - माँ कूष्मांडा (सकारात्मकता): अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी से प्रेरणा लें। प्रण करें कि इन नौ दिनों में किसी भी नकारात्मक विचार को अपने मन में घर नहीं करने देंगे।
पांचवें दिन का संकल्प - माँ स्कंदमाता (करुणा): मातृत्व की यह देवी हमें प्रेम और करुणा की शक्ति सिखाती हैं। संकल्प लें कि आप किसी एक व्यक्ति की निस्वार्थ मदद अवश्य करेंगे।
छठे दिन का संकल्प - माँ कात्यायनी (न्याय): अन्याय के विरुद्ध लड़ने वाली यह वीरांगना हमें सिखाती है कि चुप रहना भी एक अपराध है। जहाँ भी कुछ गलत देखें, उसके खिलाफ अपनी आवाज उठाने का साहस जुटाएं।
सातवें दिन का संकल्प - माँ कालरात्रि (अंधकार पर विजय): यह प्रचंड रूप हमें सिखाता है कि सबसे घने अंधकार के बाद ही सुबह होती है। जीवन की सबसे कठिन चुनौतियों को स्वीकार करने और उनसे लड़ने के लिए खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाएं।
आठवें दिन का संकल्प - माँ महागौरी (आत्मशुद्धि): यह शांत और निर्मल रूप आंतरिक शांति का प्रतीक है। प्रण लें कि आप क्रोध, ईर्ष्या या द्वेष से खुद को दूर रखेंगे और मन को शांत रखने का अभ्यास करेंगे।
नौवें दिन का संकल्प - माँ सिद्धिदात्री (क्षमता पर विश्वास): सभी सिद्धियों को देने वाली माँ हमें हमारी अनंत क्षमताओं पर विश्वास करना सिखाती हैं। अपने सबसे बड़े सपने की ओर पहला कदम बढ़ाने के लिए खुद को प्रेरित करें।
आराधना का असली अर्थ: उपवास से ऊपर उठकर
याद रखें, नवरात्रि का व्रत केवल अन्न का त्याग नहीं, बल्कि नकारात्मक विचारों, आदतों और शब्दों का त्याग है। असली पूजा थाली सजाना नहीं, किसी की जिंदगी में उम्मीद का दीया जलाना है। जब हम किसी निराश व्यक्ति को आशा देते हैं, किसी जरूरतमंद की मदद करते हैं, या प्रकृति का सम्मान करते हैं, तभी हम माँ शक्ति की सबसे सच्ची आराधना करते हैं।
उत्सव मनाएं और एक बेहतर इंसान बनें
तो आइए, इस नवरात्रि को केवल एक परंपरा की तरह मनाने की जगह, इसे अपने जीवन का एक "ट्रांसफॉर्मेशनल फेस्टिवल" बनाने का संकल्प लें। यह अवसर है अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का, उसे जगाने का और उसे दुनिया के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा में बदलने का।
अब से जब आप "जय माता दी" कहें, तो यह सिर्फ एक नारा न हो, बल्कि आपके भीतर की उस दिव्य शक्ति का उद्घोष हो जो आपको और इस दुनिया को और भी खूबसूरत बनाने के लिए तैयार है। यही सच्ची आराधना है और यही आत्म-विजय का असली उत्सव है।


Self purification through fasting during the Navratri festival does not mean only abstaining from food, rather from all bad habits, thoughts and actions. This festival is important for meditation and self control. The nine forms of Goddess Durga inculcate tremendous energy in us. Great write-up🙏💐
जवाब देंहटाएंमैं, नवरात्र पर्व के पावन अवसर के लिए, हमेशा प्रस्तुत रहता हूं, मेरे जीवन के अदभुत क्षण रहते हैं
जवाब देंहटाएंनवरात्रि के पावन अवसर पर अति उत्तम सन्देश के लिए साधुवाद l
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