मध्य प्रदेश: धरोहर, विकास और गौरव की धरती
1 नवंबर – मध्य प्रदेश स्थापना दिवस विशेष (प्रवीण कक्कड़) भारत के मध्य में स्थित यह पावन भूभाग जब 1 नवंबर 1956 को “मध्य प्रदेश” नाम और स्वरूप में स्थापित हुआ, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि यह प्रदेश आने वाले समय में संस्कृति, अध्यात्म, प्राकृतिक धरोहर और विकास का ऐसा जीवंत संगम बनेगा। आज मध्य प्रदेश केवल मानचित्र का केंद्र नहीं, भारतीयता का हृदय है। यहाँ की मिट्टी, यहाँ की बोलियाँ, यहाँ की नर्मदा और यहाँ का मानव—सभी में एक सहज अपनापन है। यही कारण है कि हर मध्य प्रदेशवासी गर्व से कहता है—यह प्रदेश “Heart of India” ही नहीं, “Soul of India” भी है। इतिहास, अध्यात्म और कालजयी विरासत मध्य प्रदेश की हर धरा इतिहास की गाथा सुनाती है। सम्राट विक्रमादित्य की न्यायप्रियता से लेकर रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे जैसे महावीरों के साहस तक—यह भूमि त्याग, पराक्रम और संस्कृति की प्रतीक है। भीमबेटका की प्रागैतिहासिक चित्रगुफाएँ, साँची का स्तूप, मंदसौर का सूर्य मंदिर और भोजपुर का विशाल शिवालय—यह सिद्ध करते हैं कि यह प्रदेश सभ्यता का जनक और आस्था का आधार रहा है। और फिर उज्जैन… महाकाल की नगरी और ओम्कारेश्वर...